विनोबा भावे का जीवन परिचय, शिक्षा में योगदान और सर्वोदय राजनीतिक विचार

विनोबा भावे भारत के महान सन्त, दार्शनिक, सामाजिक एवं आर्थिक विचारक, भूदान आन्दोलन के प्रणेता और सर्वोदय के माने जाते हैं। गांधीजी के बाद उनके विचारों को कार्यरूप में परिणत करने का कार्य करने वालों में विनोबा भावे का नाम अग्रणी है।  उन्होंने गांधी के क्रान्ति एवं सन्देश को जीवित रखने तथा उसे यथार्थ रूप देने में अपना जीवन समर्पित कर दिया। Vinoba Bhave Biography in Hindi के माध्यम से आइए जानते हैं कि विनोभा भावे का राजनीतिक विचार और शिक्षा में उनका योगदान क्या रहा?

विनोबा भावे का जीवन परिचय

विनोवा भावे का जन्म 11 सितम्बर, 1895 को महाराष्ट्र के कोलाबा जिले के गगोदे ग्राम में हुआ। इनका जन्म का नाम विनायक भावे था, किन्तु गांधीजी ने इन्हें विनोबा नाम दिया, जो कि विनायक तथा वागा शब्द का मिश्रित रूप था।

सन् 1903 में वे बड़ौदा गये, जहां उन्होंने प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त की। गणित उनका सर्वाधिक प्रिय विषय था और बाल्यकाल से ही वे कठोर जीवन बिताते थे। यहां तक कि चटाई पर सोते थे तथा तकिया भी नहीं लगाते थे। सन् 1913 में उन्होंने हाई स्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की।

1916 में वे गांधीजी के सम्पर्क में आये और यहीं से उनके जीवन में आमूल-चूल परिवर्तन दिखलायी देता है। उन्होंने निश्चय किया कि वे जीवन में न तो नौकरी करेंगे और न किसी व्यापार-धन्धे में पड़ेंगे। आध्यात्मिक साधना उनका प्रमुख लक्ष्य होगा। देखते ही देखते उन्होंने अपने सभी प्रमाण-पत्रों को जला दिया और महत्वाकांक्षी जीवन से विमुख हो गये।

विनोबा ने स्वाध्याय से जो कुछ सीखा वह उनके जीवन की अमूल्य निधि है। उपनिषदों, स्मृतियों तथा योगदर्शन का उनका ज्ञान उन्हें सन्तों की श्रेणी में ला खड़ा करता है। वे 18 भाषाओं के ज्ञाता थे। ‘गीता प्रवचन‘ उनकी वहुचर्चित पुस्तक है। इस पुस्तक के 18 भारतीय और 4 विदेशी भाषाओं में अनुवाद हुए में हैं। विभिन्न भाषाओं में उसके लगभग 165 संस्करण निकले हैं और उसकी साढ़े पन्द्रह लाख से अधिक प्रतियां छापी जा चुकी हैं। 15 नवम्बर, 1982 को अपना पार्थिव शरीर त्याग कर विनोबा ने मोक्ष की प्राप्ति की।

गांधी के विचारों की आदर्शवादिता को रचनात्मक कार्यक्रम में परिवर्तित कर विनोवा ने अपने इस कथन की पुष्टि की कि गांधी के विचार व्यवस्थित न होते हुए भी सही चिन्तन की शक्ति से युक्त हैं। सामाजिक समानता और न्याय के प्रतीक विनोबा ने भूदान, ग्रामदान, आदि के द्वारा साम्यवाद का धार्मिक विकल्प प्रस्तुत किया।

विनोबा भावे का सर्वोदय राजनीतिक विचार 

सर्वोदय दो शब्दों से मिलकर बना है, सर्व + उदय यानी सभी का उदय/विकास। महात्मा गांधी के प्रधान शिष्य होने के कारण विनोबा उनकी ‘सर्वोदय’ की विचारधारा के प्रवल समर्थक हैं। विनोबाजी ने इसे ‘साम्ययोग’ का नाम दिया है और भूदान का मूल विचार कहा है।

सर्वोदय का शव्दार्थ है ‘सवका अभ्युदय या उन्नति’। प्रत्येक समाज और राज्य में नाना प्रकार के वर्ग पाये जाते हैं। इन वर्गों की उन्नति के सम्बन्ध में विभिन्न प्रकार की विचारधाराएं प्रचलित हैं। बेन्थम का उपयोगितावाद अधिकतम लोगों के अधिकतम सुख व कल्याण पर बल देता है।

इसी प्रकार लोकतन्त्र में भी चुनावों में बहुमत प्राप्त करने वाली पार्टी शासन करती है और बहुमत के हित का ध्यान रखती है, किन्तु सर्वोदय बहुमत के साथ-साथ अल्पमत का भी पूरा ध्यान रखना चाहता है। इसकी विशेषता समाज में अधिकांश व्यक्तियों का नहीं अपितु सभी व्यक्तियों के हित की व्यवस्था करना है, अतः यह सर्वोदय कहलाता है। इसमें सबकी आदर्श समानता पर बल दिया है, इस कारण इसे विनोबाजी ने ‘साम्ययोग’ का नया नाम दिया है।

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