Web Browsers पैसे कैसे कमाते हैं? How do Google Chrome & Mozilla Firefox Make Money?

आप जब भी इंटरनेट में कुछ सर्च करना चाहते हैं, कोई वेबसाइट ओपन करना चाहते हैं, तो जरुरत पड़ती है एक web browser की। जैसे कि Google Chrome, Mozilla Firefox, Microsoft Edge, etc. ये सारे एप्स फ्री होते हैं, और आपने भी कभी-न-कभी सोचा होगा कि Web Browsers Paise Kaise Kamate Hai?

ऐसा तो नहीं है कि कोई कम्पनी फ्री में आपको सर्विस देगी। हम तो web browsers को फ्री में इस्तेमाल करते हैं, लेकिन कम्पनियाँ लाखों-करोड़ों रुपए कमाती है। कैसे? जानने के लिए इस पोस्ट को पूरा ज़रूर पढ़ें।

Web Browsers Paise Kaise Kamate Hai?

आप तो रोज़ाना ब्राउज़र का प्रयोग करते हैं, और आपको पता है कि ये सारे आपसे पैसे नहीं लेते हैं। Web Browsers का business model बाहरी कम्पनियों के विज्ञापनों पर निर्भर होता है।

सबसे पहले हर वेब ब्राउज़र में आपको एक Default Search Engine देखने को मिलता है। जैसे आप Mozilla Firefox ही ओपन करते हैं, तो homepage में Google Search रहता है। और इसके लिए गूगल Mozilla को royalty देती है।

इसके अलावा homepage में आपको और कई अलग-अलग साइट्स मिलेंगे, जो पहले से ही bookmarked होती हैं। ये सारे website listing भी sponsored रहता है।

Third-party Integration & Sponsorship

आज के समय में कई सारे web browsers में आपको news feed का एक सेक्शन मिलता है। और उनमें जितने भी साइट्स के न्यूज़ होते हैं, उनमें से अधिकतम स्पॉन्सर्ड होते हैं।

साथ ही web browsers अपने app/software में अलग-अलग third-party services का integration करते हैं। जैसे JioPages वेब ब्राउज़र में Adblock Plus पहले से ही integrated है। अब कोई भी कम्पनी अपने प्रोडक्ट में किसी दूसरे कम्पनी का प्रोडक्ट फ्री में तो नहीं लगाएगी।

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Web Browser’s Business Model of Data Collection

आपने कई जगह सुना होगा कि Data is the new oil. यह बात web browsers के केस में काफ़ी अच्छे-से लागू होती है।

किसी भी वेब ब्राउज़र के जितने भी यूज़र होते हैं, वो कम्पनी यूज़र के internet usage behaviour को मॉनिटर करती है, और उस डेटा को अलग-अलग जगह इस्तेमाल में लेती है।

सबसे पहले तो उस डेटा के द्वारा वो कम्पनी खुद के प्रॉडक्ट्स/सर्विसेज़ बनाने के काम में ले सकती है। यानी अब उनको पता है कि लोग इंटरनेट पर क्या करते हैं, किस तरह के साइट्स खोलते हैं, आदि। इसके अलावा कई कम्पनियाँ दूसरे कम्पनियों को भी डेटा बेचती हैं, तो वहाँ से भी वो पैसे कमाती है।

Conclusion: Web Browser’s Earning Sources

तो ये कुछ तरीक़े हैं, जहाँ से लगभग हर वेब ब्राउज़र पैसे कमाती है। अब बात करें हम ख़ासतौर से Google Chrome की, तो इस केस में default search engine से इनकी कमाई तो नहीं होती है, लेकिन गूगल के पैसे बच जाते हैं। जब क्रोम लॉंच नहीं हुआ था, तो गूगल कई सारे वेब ब्राउज़र को पैसे देती थी। अब खुद का ब्राउज़र है, तो किसी को पैसे देने की जरुरत नहीं है।

इसका मतलब नहीं है कि गूगल अब किसी ब्राउज़र को पैसे नहीं देती है। पैसे अभी भी वे खर्च कर रहे हैं, लेकिन Google Chrome का इतना ज़्यादा मार्केट शेयर बढ़ने से खर्च थोड़ी कम हो गई है। मुझे आशा है कि अब आपको अच्छे-से पता चल गया होगा कि Web Browsers Paise Kaise Kamate Hai? अगर कोई सवाल हो, तो comment में बता सकते हैं। धन्यवाद!

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