बेरोजगारी का अर्थ: बेरोजगारी के कारण क्या है? भारत में बेरोजगारी के कारण बताइए

महाविद्यालय से पढ़ाई पूरी करने के बाद डिग्री लेकर रोजगार की तलाश में भटकते हुए नवयुवक के चेहरे पर निराशा और चिंता का भाव होना सामान्य बात हो गई है. जब रोजगार की तलाश में भटकते हुए, युवक को अपनी योग्यता के अनुसार नौकरी नहीं मिलती, तो युवक अपनी डिग्रियां फाड़ने, जलाने के लिए विवश हो जाते हैं. उस समय घर एवं समाज के लोग उसे निकम्मा समझते हैं. बेरोजगारी की समस्या आज देश का सबसे बड़ा मुद्दा बना गया है. तो आज हम आपसे इसी के बारे में बात करेंगे कि Berojgari ke Karan Kya Hai? भारत में बेरोजगारी के प्रमुख क्या है?

आज देश में बेरोजगारी एक वायरस की तरह फैल चुका है, जिसका जल्द से जल्द समाधान नहीं किया गया, तो हालात बद से बदतर होने में देर नहीं लगेगा. देश की तरक्की के रास्ते में कई सारे कारक पाव पसारे खड़े हैं, लेकिन बेरोजगारी उनमें से सबसे महत्वपूर्ण कारक है. महात्मा गाँधी जी ने बेरोजगारी को “समस्याओं का समस्या” कहा है. हमारा देश युवाओं का देश कहा जाता है, क्योंकि यहाँ की जनसंख्या का सबसे बड़ा हिस्सा युवा हैं, जो की अच्छी बात है. लेकिन जब युवा जनसंख्या ही बेरोजगार हो, तो देश के लिए कोई लाभ नहीं है. क्योंकि बेरोजगार युवा आखिर देश के विकास में क्या योगदान दे सकती है.

बेरोजगारी का अर्थ क्या है?

बेरोजगारी का अर्थ है, योग्यता होने के बावजूद, योग्यता के अनुसार उचित काम न मिलना.आज देश में कई ऐसे युवक हैं जो ग्रेजुएशन, बीएड की डिग्री प्राप्त करके रोजगार के लिए दर-दर भटक रहे हैं. रोजगार नहीं मिलने के कारण स्नातक, परास्नातक, शिक्षा-स्नातक की पढाई करके गाँव के गलियों में भटक रहे हैं और मजदूरी कार्य करने के लिए विवश है. उदहारण के लिए कोई व्यक्ति बी.ए करके पकौड़ी बेच रहा है, तो कोई व्यक्ति इंजीनियरिंग की पढाई करके मजदूरी कार्य कर रहा है.

बेरोजगार के कारण अक्सर युवाएं तनाव में रहते हैं, जिससे कई तरह के रोग उनके शरीर में घर बना लेते हैं.एक बेरोजगार इंसान न सिर्फ अपने परिवार बल्कि, देश के भी किसी काम नहीं आ सकता. बेरोजगार लोगों को उनके परिवार वाले एक बोझ की तरह देखते हैं, और बेरोजगार लोग भी समाज के तानों से तंग आकर गलत रास्ते चुन लेते हैं. ताकि उनके माथे पर निकम्मे होने का कलंक ना रहे.  बेरोजगारी बहुत छोटा सा शब्द है, लेकिन इसके अर्थ और परिणाम बहुत खतरनाक होते हैं.

Berojgari ke Karan: भारत में बेरोजगारी के कारण क्या है? 

दूषित शिक्षा प्रणाली 

बेरोजगारी का सबसे प्रमुख कारण है, दूषित शिक्षा प्रणाली. हमारे देश में गुणवत्ता युक्त शिक्षा नहीं दिया जाता, यहाँ केवल साक्षारत दर में वृद्धि हो रहा है. शिक्षा के नाम पर छात्रों को रट के परीक्षा पास कैसे करना है? ये सिखाया जाता है. क्लास होते हीं दिमाग से रटंत ज्ञान भी निकल जाती हैं.ऐसी शिक्षा प्रणाली एक बेहतर शिक्षित जनसंख्या का निर्माण नहीं कर सकता.

गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के अभाव में विद्यार्थियों में व्यावसायिक कौशल विकसित नहीं हो पाता, जिसके कारण उन्हें रोजगार नहीं मिल पाता. क्योंकि    वर्त्तमान  समय में लगभग सभी कम्पनियाँ स्किल के अनुसार रोजगार देती है, और युवाओं में स्किल्स का अभाव होता है.

जनसंख्या वृद्धि

जनसंख्या वृद्धि बेरोजगारी की एक बहुत बड़ी समस्या है. बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण उपलब्ध अवसर की कमीं हो जाती है. बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण सरकार सभी को रोजगार नहीं दे पाती. सभी के लिए रोजगार उपलब्ध न होना, सरकार के लिए एक बहुत बड़ी चिंता विषय बन गयी है.  बड़ी जनसंख्या के कारण न तो, शिक्षा पर ठीक से ध्यान दिया जाता है और ना हीं स्वास्थ्य पर. इसलिए अगर कम जनसंख्या होगा तो, अवसर सबको बराबर मिलेंगे और कोई भी बेरोजगार नहीं रहेगा.

पिछड़ी हुई कृषि 

ये तो सबको मालूम है कि हमारा देश कृषि प्रधान देश है मगर कृषि कोई करना नहीं चहता. क्योंकि कृषि करने की तकनीक काफी पुरानी है. वही हल – फल और फसल लगाने की परंपारिक विधि, जिससे फसलों में मुनाफा नहीं दिखता और लोग कृषि क्षेत्र में दिलचस्पी नहीं दिखाते.

यही कुछ बेरोजगारी की समस्या का कारण है. इस ज्वलंत समस्या का निदान किए बिना देश का विकास असंभव है. इसलिए बेरोजगारी की समस्या का निदान करना बेहद जरुरी है.

बेरोजगारी के प्रमुख कारण 

निर्धनता

निर्धनता बेरोजगारी का एक प्रमुख कारण है. निर्धनता के कारण भारतीय अभिभावक अपने बच्चों के लिए उचित शिक्षा का प्रबंध नहीं कर पाते हैं. गरीबी के बच्चों को स्कूल भेजने के बजाय काम पर भेजते हैं, या घर का काम करवाते हैं. निर्धनता के कारण बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते है, अशिक्षित होने के कारण उन्हें रोजगार नहीं मिलता और बेरोजगारी का सामना करना पड़ता है.

मशीनीकरण 

भारत में बेरोजगारी का एक प्रमुख मशीनीकरण है. कल-कारखानों, उद्योगों और कृषि कार्य के लिए मशीनों का अधिक प्रयोग बेरोजगारी को जन्म दे रही है. उद्योगों में अधिकांश कार्य मशीन के द्वारा किया जाता है. जिस काम को पूरा करने के लिए सौ मजदूर लगते थे, वह काम अकेले एक मशीन कर लेता है. ऐसे में मशीनी के कारण जो सौ लोग काम करते थे, उनका रोजगार खत्म होगा.

ऐसे ही कृषि कार्य में किसान जहाँ हल जुताई करने के लिए दस आदमी लगाते थे, उस कार्य को ट्रेक्टर एक घंटे में करता है. वैसे ही एक तालाब की  खुदाई में दो-तीन सौ व्यक्ति कार्य करते थे, उस काम को एक मशीन अकेले कर रहा है. इस तरह से मशीनीकरण के कारण बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हुई है.

रोजगारों की अपर्याप्तता 

देश में जनसँख्या के अनुपात में रोजगार नहीं है. रोजगारों की अपर्याप्तता के कारण लोगों को रोजगार नहीं मिलता है. पर्याप्त रोजगार की कमी के कारण बेरोजगारी को बढ़ावा मिल रहा है.

बेरोजगारी दूर करने के उपाय 

  • जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण करके बेरोजगारी की समस्या को दूर किया जा सकता है.
  • देश की जनसँख्या में कमी होगी, तो सभी को रोजगार के अवसर प्राप्त होगा.
  • शिक्षा प्रणाली में सुधार करके बेरोजगारी की समस्या को दूर किया जा सकता है.
  • लघु, कुटीर उद्योग, हस्तकरघा उद्योगों का विकास किया जाए, औद्योगीकरण से रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे.
  • पर्याप्त रोजगार उपलब्ध होने से बेरोजगारी में कमी आएगी.
  • उद्योगों में मशीनों के स्थान पर मजदूरों को काम पर रखना.

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