जीवनी और आत्मकथा में अंतर और प्रमुख विशेषताएँ: Biography and Autobiography Meaning in Hindi

किसी भी महान व्यक्ति के बारे में अगर आप जानना चाहते हैं, तो अक्सर आप उनकी जीवनी या आत्मकथा पढ़ते हैं। एक समय के लिए तो दोनों एक-सा ही लगता है, लेकिन जीवनी और आत्मकथा में अंतर होता है। और आज हम इसी के बारे में जानेंगे कि Biography and Autobiography Differences in Hindi.

आसान भाषा में बात करें, तो जीवनी और आत्मकथा दोनों किसी व्यक्ति के पूरे जीवनकाल का एक संक्षिप्त लेख होता है। इसे पढ़कर आप किसी भी व्यक्ति के बारे में पूरी जानकारी ले सकते हैं कि उनका जन्म कहाँ हुआ था, उनका पारिवारिक परिवेश कैसा था, उनकी पढ़ाई कैसे हुई, उन्होंने अपना करियर कैसे शुरू किया, और जीवन में वे आगे कैसे बढ़े?

जीवनी और आत्मकथा में अंतर

किसी व्यक्ति के पूरे जीवन-काल के बारे में लिखा गया लेख या किताब को जीवनी कहते हैं, और यह अक्सर कोई दूसरा व्यक्ति या लेखक ही लिखता है। लेकिन आत्मकथा उस जीवनी को कहते हैं, जो वह व्यक्ति खुद ही अपने बारे में लिखता है।

अंग्रेजी में जीवनी को Biography और आत्मकथा को Autobiography कहते हैं, यानी खुद से लिखी हुई जीवनी। बस दोनों में लेखक और मुख्य पात्र होने का ही अंतर है, इसके अलावा लेख या किताब में जो भी बातें लिखी जाती हैं दोनों में लगभग वैसा ही रहता है।

जीवनी की प्रमुख विशेषताएँ

किसी महान एवं सामाजिक-ऐतिहसिक कार्यों के करनेवाले विशिष्ट व्यक्ति की विशिष्टता बताने के लिए उनका जो जीवन-वृत्त लिखा जाता है, उसे ही ‘जीवनी’ कहते हैं। जीवनी को ही जीवनचरित, जीवनवृत्त या जीवन चरित्र कहा जाता है।

जीवनी लिखने में उस विशिष्ट व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक के बीच में जीवन एवं कार्य का गहन अध्ययन किया जाता है। हिंदी में अनेक जीवनी-लेखक हुए हैं जिन्होंने भारत के ऐतिहसिक महापुरुषों की जीवनियाँ लिखी हैं। इस विधा के लेखकों को भावुकता के बजाय तथ्यों पर अधिक ध्यान केंद्रित करना पड़ता है।

आत्मकथा की प्रमुख विशेषताएँ

आत्मकथा साहित्य की अत्याधुनिक विधाओं में आती है। यह किसी व्यक्ति के द्वारा आत्माभिव्यक्ति होती है। इस विधा में लेखक स्वयं नायक और मुख्य पात्र होता है। इसमें लेखक स्वयं अपनी कथा से गुजरते हुए स्वयं को खोलता है, अपने अनुभवों को बताता है तथा आत्मविश्लेषण करता है।

महात्मा गाँधी की आत्मकथा, महावीर प्रसाद द्विवेदी की आत्मकथा, डॉ॰ हरिवंशराय ‘बच्चन’ की आत्मकथा आदि काफ़ी लोकप्रिय हुई। डॉ॰ बच्चन ने अपनी आत्मकथा को चार भागों में लिखा- क्या भूलूँ क्या याद करूँ, बसेरे से दूर, नीड़ का निर्माण फिर और दशद्वार से सोपान तक। वास्तव में ये रचनाएँ बच्चन के जीवन के दस्तावेज हैं। इस तरह और भी कई महान लोगों ने अपनी-अपनी आत्मकथाएँ लिखी हैं।

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