भीष्म साहनी का जीवन परिचय, प्रसिद्ध उपन्यास, कहानी संग्रह, प्रमुख रचनाएँ एवं साहित्यिक विशेषताएँ

भीष्म साहनी हिन्दी साहित्य के एक प्रमुख उपन्यासकार, कहानीकार, नाटककार और लेखक थे, जिन्हें मुंशी प्रेमचंद की परंपरा का अग्रणी लेखक माना जाता है। साहित्य के अलावा, वे सामाजिक कार्यों में भी काफ़ी रुचि रखते थे, और आज हम भीष्म साहनी का जीवन परिचय, प्रसिद्ध उपन्यास, कहानी संग्रह एवं साहित्यिक विशेषताओं के बारे में जानेंगे कि इनकी प्रमुख रचनाएँ कौन-कौन सी हैं?

भीष्म साहनी का जीवन परिचय

भीष्म साहनी का जन्म 8 अगस्त 1915 ई. को रावलपिंडी (अब पाकिस्तान) में हुआ। प्रारम्भिक शिक्षा कस्बे के स्कूल से प्राप्त करने के बाद उन्होंने एम.ए. तथा पीएच. डी. अंग्रेजी विषय में की। तत्पश्चात् दिल्ली के जाकिर हुसैन कॉलेज में कई वर्षों तक अध्यापन कार्य किया।

उन्होंने कुछ वर्षों तक विदेशी भाषा प्रकाशन गृह, मास्को में भी कार्य किया। भीष्म साहनी के बड़े भाई बलराज साहनी पूर्णतः फिल्मों से जुड़े हुए थे, परन्तु ये शौकिया तौर पर दूरदर्शन के कार्यक्रमों तथा अनेक नाटकों में भाग लेते रहे हैं। साहनी जी दिल्ली के जाकिर हुसैन कॉलेज से अंग्रेजी पढ़ाते हुए सेवा निवृत हुए।

भीष्म साहनी का संस्कार

साहनी जी ने 1942 ई. में भारत छोड़ो आन्दोलन में सक्रिय भाग लिया था। ये इप्टा से जुड़कर भी देशसेवा करनी चाही। सेवानिवृति के बाद ये राष्ट्रीय प्रगतिशील लेखक संघ की स्थापना की जिसके महासचिव भी बने थे।

भीष्म साहनी का साहित्यिक परिचय

नाट्य संस्था ‘प्रयोग’ के अध्यक्ष तथा धारावाहिक ‘तमस’ में अविस्मरणीय अभिनय के कारण इन्हें बहुत ख्याति मिली। 1957 ई. में ये मास्को में अनुवादक बने। 1965 ई. में नई कहानियाँ पत्रिका के सम्पादक बने।

2001 ई. में इन्हें साहित्य अकादमी की महत्तर फिलोशीप भी दी गई। इसके पहले इन्हें शिरोमणी लेखक पुरस्कार लोट्स पुरस्कार, साहित्य अकादमी सम्मान भी मिल चुका था। रचनाएँ-भीष्म साहनी अपनी किशोरावस्था से ही साहित्य रचना कर रहे हैं। इन्होंने अनेक कहानियाँ, नाटक तथा उपन्यास लिखे हैं।

भीष्म साहनी का प्रसिद्ध उपन्यास

भीष्म साहनी का प्रसिद्ध उपन्यास है, तमस, झरोखे, बसंती, मय्यादास की माडी़, कुन्तो, और नीलू निलिमा नीलोफर।

भीष्म साहनी का कहानी-संग्रह

इनका प्रमुख कहानी संग्रह है—भाग्य रेखा, भटकती राह, पहला पाठ, पटरियाँ, और वाचू।

कहानी के अलावा भीष्म साहनी नाटककार भी थे। इनके प्रमुख नाटक हैं- माध्वी, हानूश, कबिरा खड़ा बाजार में, मुआवजे।

Bhishm Sahni Biography in Hindi

भीष्म साहनी को साहित्यिक अवदान के लिए हिंदी अकादमी, दिल्ली ने उन्हें ‘शलाका सम्मान‘ से सम्मानित किया। भाषा-शिल्प की विशेषताएँ-भीष्म साहनी की भाषा-शैली सरल, सहज और बोधगम्य है।

भाषा को प्रवाहमयता प्रदान करने के लिए उन्होंने उर्दू, अंग्रेजी तथा फारसी शब्दों का प्रयोग किया है। इसके अतिरिक्त संस्कृतनिष्ट तत्सम शब्दों का सुन्दर मिश्रण किया गया है। शब्दों का प्रसंगानुकूल प्रयोग उनकी भाषा की विशेषता है।

तमस उपन्यास के लिए उन्हें ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। साहनी जी ने छोटे-छोटे वाक्यों का प्रयोग करके विषय को प्रभावी एवं रोचक बना दिया है। संवादों के प्रयोग ने वर्णन में ताजगी ला दी है। वाक़ई में भीष्म साहनी आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख स्तंभों में से एक काफ़ी प्रभावशाली लेखक थे।

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