ठंड के मौसम में होनेवाले सम्भावित बीमारियाँ: Common Winter Diseases in Hindi

ठंड में सर्दी-जुकाम, viral fever, flu (influenza) जैसी कई संक्रामक बीमारियों की आशंका बढ़ जाती हैं। इस समय वातावरण में मौजूद virus, fungus और bacteria से इन्फ़ेक्शन होने का ख़तरा बना रहता है। आमतौर पर सर्दियों में खान-पान की अनियमितताओं के कारण हमारी immunity कमजोर हो जाती है। इससे शरीर अन्य बाहरी संक्रमणों के ख़िलाफ़ कमजोर हो जाता है। इसलिए सर्द मौसम में हमें बेहद एहतियात बरतने की जरुरत है।

Common Winter Diseases in Hindi

1. सर्दी-जुकाम: ठंड बढ़ते ही सर्दी-जुकाम होने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है। इसकी अनदेखी करने पर यह bronchorial allergy का रूप ले लेता है। इसमें बहुत ज़्यादा छींक आती है और नाक बहत है। पानी में 4-5 बूँदें युकलिप्टस या पिपरमिंट ऑयल मिलाकर स्टीम लें। नामक के पानी से गरारे करें। सर्दी-जुकाम 6-7 दिनों में ठीक हो जाता है। यदि ठीक न हो, तो डॉक्टर को दिखा कर एंटी-एलर्जी मेडिसिन लें।

2. फ्लू: कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग फ्लू की चपेट में आसानी से आ जाते हैं। इसमें बुख़ार, सिरदर्द, आँखों से पानी बहने के लक्षण सामने आते हैं। पर्सनल हाइजीन और आस-पास के वातावरण का खास ख़्याल रखें। डॉक्टर से परामर्श के बाद ही फ्लू के लिए दवाइयाँ लें।

3. निमोनिया: आमतौर पर बुजुर्गों और बच्चों में सर्दियाँ आते ही निमोनिया का ख़तरा बढ़ जाता है। पानी का कफ जमने से फेफड़े ठीक तरह से काम नहीं कर पाते। मरीज को साँस लेने में दिक़्क़त होती है, जिससे respiratory failure हो सकता है। फेफड़ों का इन्फ़ेक्शन ब्लड सप्लाई के साथ दूसरे ऑर्गन में फैल सकता है। डॉक्टर से चेक ज़रूर करवाएँ।

4. खुजली या डैंड्रफ: डैंड्रफ इन्फ़ेक्शन dryness बढ़ने से सिर में खुजली, डैंड्रफ या पपड़ी-सी जाम जाती है। ध्यान नहीं देने पर शरीर के अन्य अंगों के बालों के आस-पास भी दाने निकल आते हैं, जिसे सेबोरिक dermititis कहते हैं। रेगुलर नहाएँ और anti-fungal shampoo से बाल धोएँ। नहाने से पहले सरसों, नारियल या olive oil से मालिश करें। एलर्जी के लिए medicated lotion लगाएँ।

5. हाइपोथर्मिया: इसमें शरीर का तापमान सामान्य से काफ़ी कम हो जाता है और बहुत ठंड लगती है। रक्त धमनियाँ सिकुड़ जाती हैं, जिससे रक्त प्रवाह बाधित होता है। कई अंग ठीक तरह से काम करना बंद कर देते हैं। मरीज का रंग पीला पद जाता है। इससे बचाव के लिए सिर से पैर तक गर्म कपड़े पहने। रूम में हीटर चलाकर रखें। सर्द हवाओं से बिलकुल परहेज़ करें।

6. अस्थमा: बैक्टीरिया, वायरस और एलर्जिक तत्व अस्थमा मरीज़ों की तकलीफ़ें बढ़ा देती हैं। एलर्जी के कारण नाक बंद होना या छींक आने की समस्या होती है। कोहरे से श्वासनली सिकुड़ जाती है। साँस लेने में दिक़्क़त होने लगती है। ज़ोर-ज़ोर से साँस लेने पर हाँफने के लक्षण दिखते हैं। छाती में जकड़न, अधिक खांसी, बलगम जैसी समस्याएँ होती हैं।

7. गैंग्रीन या अल्सर: ठंडे पानी से हाथ और पैर की रक्त धमनियाँ सिकुड़ जाती हैं। रक्त प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है, जिससे उँगलियाँ नीली पद जाती हैं। इससे सूजन हो सकता है, अनदेखी करने पर गैंग्रीन या अल्सर की आशंका बनी रहती है। दस्ताने, मोज़े पहले और ठंडे पानी से परहेज़ करें।

8. टॉन्सिलाइटिस: ठंड में यह समस्या बढ़ जाती है। बच्चों के टॉन्सिल में बैक्टीरियल और वायरल इन्फ़ेक्शन से यह परेशानी होती है। इससे गले में दर्द व बुख़ार हो सकता है। गर्म और ताज़ा भोजन लें। ठंड में गुनगुना पानी पिएँ। बैक्टीरियल इन्फ़ेक्शन होने पर antibiotic दवाओं का कोर्स पूरा करें।

9. हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक: तापमान काम होने पर blood veseels सिकुड़ने से blodd clotting की समस्या बढ़ जाती है। इससे ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट अटैक हो सकता है। ब्लड प्रेशर के मरीज डॉक्टर से नियमित चेकअप करवाएँ व नियमित दावा लें।

Disclaimer: यह जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्य (educational purpose) के लिए है। आपके जो भी लक्षण (symptoms) हैं, डॉक्टर से मिलकर ज़रूर चेक कराएँ। बिना डॉक्टर के परामर्श के कोई दवाई न लें। इस पोस्ट में जो भी बातें बताई गई हैं, वो इंटरनेट और अन्य स्रोतों से लिया गया है। इन्हें पढ़कर कोई भी निष्कर्ष निकालने से पहले डॉक्टर से ज़रूर मिलें और डॉक्टर के द्वारा बताए गए दवाइयों का ही सेवन करें। धन्यवाद!

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