क्या आपको पता है कि Matsyasana Kaise Karte Hai? मत्स्यासन की पूर्ण स्थिति मछली की तरह होती है. जिस प्रकार से मछली पानी में तैरती है, उसी तरह का मत्स्यासन में शरीर को बनाना होता है.
यह आसन पेट के रोगियों के लिए लाभकारी होता है. इसे हमें धीरे-धीरे प्रेमपूर्वक करना चाहिए. यह आसन हमारे पुरे शरीर को लचीला, निरोग और सबल बनाता है.
मत्स्यासन को एक बार अभ्यास करने के बाद इसे हम आसानी से कर सकते हैं. शुरुआत में तो समस्या होती है, लेकिन बाद में हमारे लिए यह लाभकारी साबित होता है.
तो आज मैं आप सभी को इसी के बारे में बताने जा रही हूँ कि Matsyasana Kaise Karte Hai? How to do Matsyasana? अगर आप भी मत्स्यासन करने की विधि और फायदे जानना चाहते हैं, तो आप यह आर्टिकल Matsyasana Kya Hai? अंत तक जरुर पढ़ें.
Fish Pose Meaning in Hindi
Fish Pose मतलब मत्स्यासन में शरीर को पूरी तरह से मछली की तरह करना होता है. जिस प्रकार मछली पानी में तैरती है, उसी के तरह इस आसन में पीठ के बल लेटकर मछली की तरह तैरना होता है. इसलिए इस आसन को मत्स्यासन कहा जाता है.
मत्स्यासन कैसे करते हैं?
- सबसे पहले पद्धासन में बैठ जाएँ, फिर थोडा पीछे झुकते हुए हाथों व कोहनियों का सहारा लेते हुए पीठ के बल लेट जाएँ.
- अब हथेलियों को सिर के दोनों तरफ रखें और उनकी सहायता लेते हुए पीठ एवं सिर को कमर से उठायें.
- फिर सिर के अग्रभाग, माथे को जमीन के ऊपर स्थापित करें, ताकि कमर के ऊपर, पीठ, पेट, कंधे व गर्दन कमान के समान ऊपर मुड़ी हुई हों और जमीन से ऊपर उठी हुई हों.
- माथा व जांघों पर शरीर का पूरा भार स्थिर हो.
- घुटनों को जमीन पर रखें व आँखें का ध्यान माथा के सामने की जमीन की ओर रखें.
- अब दायें हाथ से बाएं पैर की उँगलियों को पकड़ लें व बाएं हाथ से दायें पैर की उँगलियों को पकड़ लें.
- इस स्थिति में कमर से लेकर पीठ एवं गर्दन तक शरीर एक कमान जैसा बनता है और पूरा शरीर माथा एवं जांघों पर स्थिर रहता है.
- इस आसन को शुरुआत में इसमें 20 सेकंड तक करें. बाद में अभ्यास के साथ इसे 3 मिनट तक बढ़ाया जा सकता है.
मत्स्यासन करने की विधि
- इस आसन को वज्रासन में बैठ कर भी कर सकते है.
- वज्रासन में बैठने के बाद पीठ के बल लेट जाएँ,उसके बाद दोनों हथेलियों को सिर के सामने दोनों तरफ रखें.
- हथेलियों की सहायता से सिर और पीठ को कमर तक उठायें.
- इस स्थिति में 20 सेकंड तक रहें.
- फिर वापस उसी स्थिति में आने के लिए दोनों हथेलियों को सिर के पास रखें.
- उसके बाद सिर को बहुत ही धीरे से उठाकर थोडा करवट लेकर हाथों का सहारा लें व धीरे से वापस वज्रासन में बैठ जाएँ.
- मत्स्यासन को 2 से 3 बार करना चाहिए.
- इस आसन को करने के बाद Shavasana में विश्राम करें.
मत्स्यासन के फ़ायदे
- मत्स्यासन पाचन तंत्र को नियंत्रित करता है. यह सभी पाचन-तंत्रों को सक्रिय व सशक्त करता है. छोटी और बड़ी दोनों आँतों को क्रियाशील करता है एवं कब्ज़ से निवृति देता है.
- Pancreas व Liver को सक्रिय करता है, एवं मधुमेह रोगियों के लिए बहुत लाभकारी होता है.
- किडनी ,एवं पेट के रोगियों के लिए लाभकारी है.
- रीढ़ की हड्डी को लचीला और कमर दर्द को ठीक करता है.
- फेफड़े एवं ह्रदय को सशक्त करता है एवं क्रियाशील बनाता है.
- Asthma के रोगों के लिए बहुत लाभकारी है. साँस नलिका, tonsil व स्वर तंत्र के रोगों में बहुत उपयोगी आसन है.
- Thyroid और parathyroid gland को स्वस्थ करता है.
- ज्ञानेन्द्रियों को सक्रिय व सबल करता है.
- गर्दन के पीछे की हड्डी अगर बढ़ी हुई हो, तो इस आसन को करने से यह समस्या दूर हो जाता है.
- चेहरे व मुंह की झुर्रियों को ठीक करता है. इस आसन के निरंतर अभ्यास से चेहरे में रौनक आती है.
- यह आसन आँखों की रोशनी को बढाता है.
- मत्स्यासन स्त्री रोगों के लिए लाभकारी होता है. यह मासिक चक्र को नियमित करता है.
- ये आसन महिलाओं को सुन्दर बनाता है. इसलिए यह पुरुषों से अधिक महिलाओं के लिए उपयोगी है.
- कंधे की अकडन को दूर करता है और फेफड़े सबल होते हैं.
- इस आसन को करने से रक्त (blood) शुद्ध होता है, जिससे पुरे शरीर को लचीला एवं सबल बनाता है.
मत्स्यासन करते समय सावधानियाँ
- मत्स्यासन ह्रदय रोग, हर्निया, पेट से जुडी बीमारी के रोगियों को नहीं करना चाहिए.
- इस आसन को गर्भवती अथवा मासिक चक्र के समय करना न करें.
- इन्फेक्शन या बुखार होने पर भी मत्स्यासन नहीं करें.
- यह आसन को धीरे-धीरे प्रेमपूर्वक करें.आसन करते समय किसी भी अंग को किसी प्रकार का झटका न दें.
- अगर शरीर में कहीं भी दर्द या पीड़ा हो, तो यह आसन छोड़ कर शवासन में आराम करें.
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