शवासन कैसे किया जाता है? शवासन के फ़ायदे और महत्व

क्या आपको पता है कि Shavasana Kaise Karte Hai? शरीर स्वस्थ रहता है, तो पूरा जीवन सरल, सफल व सुफल हो जाता है. निरोग शरीर के लिए सम्यक आहार, सम्यक व्यायाम और सम्यक निंद्रा की आवश्यकता होती है.

आज के तनाव भरे जीवन में शवासन relaxation के लिए अहम् है. शवासन  से तन और मन दोनों शांत और चिंता मुक्त हो जाते हैं. शरीर को विभिन्न बिमारियों से छुटकारा मिलता है.

शवासन कैसे करें?

शवासन दो शब्दों से मिलकर बना है, शव + आसन. शव का अर्थ है, मृत अर्थात आसन यानि स्थिति. शवासन में शरीर को मृत शरीर की तरह बनाना होता है. इस आसन से तन और मन दोनों को शांत करता है और शरीर में नयी ऊर्जा का संचार करता है.

इस क्रिया को करने से स्नायु दुर्बलता, थकान तथा नकारात्मक चिंतन दूर होता है. शरीर, मन एवं मस्तिष्क को पूर्ण विश्राम, शक्ति, उत्साह एवं आनंद मिलता है. इसे आप हर उम्र में कर सकते हैं. यह बेहद सरल है. इसे किसी भी समय किया जा सकता है. भोजन के एक घंटे बाद ही इसे करना चाहिए.

शवासन कैसे किया जाता है?

  • शवासन करने के लिए पीठ के बल सीधे जमीन पर लेट जाएँ. पैरों में लगभग एक फूट का अंतर हो तथा दोनों हाथों को जांघों से थोड़ी दूरी पर रखते हुए हाथों को ऊपर की और खोल कर रखें.
  • आँखें बंद, गर्दन सीधी, पूरा शरीर तनाव-रहित अवस्था में हों. धीरे-धीरे 4-5 लम्बी गहरी साँस लें और छोड़ें.
  • अब मन द्वारा शरीर के प्रत्येक भगा को देखते हुए संकल्प द्वारा एक-एक अवयव को शिथिल तथा तनाव रहित अनुभव करना है.
  • अब हमें शरीर को पूर्ण विश्राम देना है. इसके लिए भी हमें शरीर के विश्राम का संकल्प करना होगा.
  • सर्वप्रथम बंद आँखों से ही मन की संकल्पशक्ति द्वारा पैरों के अंगूठों एवं उँगलियों को देखते हुए नितांत ढीला और तनाव रहित अनुभव करें.
  • अब पिंडलियों को देखें और विचार करें की मेरी पिंडलियाँ पूर्ण रूप से स्वस्थ, तनाव-रहित एवं पूर्ण विश्राम की अवस्था में हैं.
  • पिंडलियों के बाद अब घुटनों को देखते हुए उनको स्वस्थ, तनाव रहित एवं पूर्ण विश्राम की अवस्था में अनुभव करें. मन ही मन अपनी जांघों को देखें और उनको भी पूर्ण विश्राम की दशा में अनुभव करें.
  • जांघों के बाद धीरे-धीरे शरीर के ऊपरी भाग कमर, पेडू, उदर एवं पीठ को सहजता पूर्वक देखते हुए पूर्ण स्वस्थ और तनाव रहित अनुभव करें.
  • अब शांत भाव से मन को ह्रदय पर केन्द्रित करते हुए, ह्रदय की धड़कनों को सुनने का प्रयास करें और विचार करें की ह्रदय पूर्ण स्वस्थ है.
  • ह्रदय एवं फेफड़ों को शिथिल करते हुए अपने कन्धों को देखें और उनको तनाव-रहित फिर क्रमश:भुजाओं, कोहनियों, कलाइयों-सहित दोनों हाथों को तनाव-रहित पूर्ण विश्राम की अवस्था में अनुभव करें.
  • अब अपने चेहरे को देखें और विचार करें की मुख पर चिंता, तनाव एवं निराशा का कोई भी भाव नहीं है.
  • इस प्रकार शरीर और मन को शिथिल करते हुए अपने नकारात्मक विचारों को हटाएँ, क्योंकि नकारात्मक विचारों से ही व्यक्ति दुखी,अशांत एवं अस्वस्थ होता है.

शवासन के फ़ायदे और महत्व

शवासन से हमारा शरीर स्वस्थ रहता है जिससे हमारे  शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता विकसित होती है. शवासन करने से शरीर के सभी अंगों को लाभ मिलता है और विश्राम मिलता है.

  • शवासन करने से तन-मन शांत होते हैं, जिससे रक्त का प्रवाह ठीक होता है.ह्रदय से जुडी हुई समस्याओं में राहत मिलती है.
  • एकाग्रता व स्मरण शक्ति बढती है. मस्तिष्क शांत होगा, तो दिमागी काम करने की क्षमता बढ़ेगी.
  • Blood pressure control करने में बहुत ही सार्थक भूमिका निभाता है. शवासन करते समय आरामदायक स्थिति में होने के कारण शरीर तनाव मुक्त होता है. तनाव, उच्च रक्तचाप, ह्रदय रोग तथा अनिद्रा के लिए यह क्रियाभ्यास सर्वोत्तम है.
  • अनिद्रा दूर होती है, यदि किसी को नींद न आती हो, तो सोने से पहले शवासन करें.
  • स्नायु पीड़ित रोगी और न्यूरोस्थामिया के रोगियों के लिए शवासन लाभकारी है. इससे ध्यान की स्थिति का विकास होता है. आसन करते हुए बीच-बीच में शवासन करने से थोड़ी ही समय में शरीर की थकान दूर हो जाती है.

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