गरुड़ासन कैसे करते हैं? Benefits of Garudasana Yoga in Hindi

क्या आपको पता है कि Garudasana Kaise Kare? योगासन करने से हमारा शरीर स्वस्थ और निरोग रहता है. आसन कई प्रकार से किये जाते हैं, जैसे – बैठकर, पेट के बल, पीठ के बल, खड़े होकर.

सभी आसनों में इस बात का महत्त्व होता है कि साँस कब लेनी और कब छोड़नी है. आसन विविध रोगों का निवारण ही नहीं करता, अपितु मानसिक, बौद्धिक व शारीरिक संतुलन बनाये रखता है.

गरुडासन करते समय हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि साँस कब लेना है और कब छोड़ना है. आप जब सही समय और सही तरीके से साँस लेंगे तभी आसन का लाभ मिलेगा.

तो आज मैं आप सभी से इसी विषय पर बात करने जा रही हूँ कि Garudasana Kaise Kare? अगर आप भी  Garudasana ke Phyade के बारे में  जानना चाहते हैं, तो आप यह आर्टिकल अंत तक जरुर पढ़ें.

गरुड़ासन क्या है?

गरुडासन शब्द दो शब्दों गरुड़ और आसन से मिलकर बना है. गरुड़ एक पक्षी का नाम है. इस आसन में शरीर की आकृति गरुड़ पक्षी के समान होने के कारण इसका नाम गरुडासन रखा गया है.

गरुडासन खड़े होकर करने वाले आसनों में से एक महत्वपूर्ण योगाभ्यास है. इस आसन में हाथ एक-दुसरे में गूँथ दिए जाते हैं और छाती को इस प्रकार रखे जाते हैं, जैसे गरुड़ की चोंच होती है.

गरुड़ासन कैसे करते हैं?

  • सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएँ.
  • उसके बाद दायें पैर को सामने ले जाकर बाएं पैर के ऊपर रखते हुए रस्सी के वट की तरह लपेटें.
  • ठीक इसी तरह से दायें हाथ को बाएं हाथ के ऊपर (बाहर से लाते हुए) रखते हुए लपेटें.
  • ऐसे रखें कि दोनों हाथों की हथेलियाँ परस्पर मिल जाएँ तथा नासिका के सामने रखें.
  • श्वास बाहर निकालते हुए यथाशक्ति रोकें तथा जांघों को दबाएँ.
  • ठीक यही क्रिया दुसरे हाथ और पैर से भी दोहराएँ.
  • गरुडासन का अभ्यास प्रत्येक दिशा में कम से कम एक मिनट तक करें.
  • प्रारंभ में कुछ दिनों के लिए साँस न रोकें.
  • जब आसन करने का अभ्यास हो जाएँ, तो आसन की पूर्ण स्थिति में जितनी देर संभव हो सके साँस को रोकें.

Benefits of Garudasana in Hindi

  • गरुडासन करने से शरीर में शांति आती है एवं शरीर में सामंजस्य बना रहता है.
  • यह आसन अंडकोष वृद्धि तथा गुदा की बीमारियों में विशेषकर लाभकारी है.
  • खड़े रहने से लम्बवत खिंचाव बढ़ता है.
  • इस आसन में कमर के निचले भाग के दोष दूर होते हैं, जैसे कमर दर्द व sleep disk आदि.
  • गठिया, घुटने और जोड़ों का दर्द ठीक होता है.
  • हाथों का काँपना रुकता है.
  • देर तक चलने या देर तक खड़े रहने से होने वाली थकान को भी मिटाता है.
  • पैरों में होने वाली गिल्टी ठीक होती है.
  • गुदा और मूत्राशय के सभी रोग दूर होते हैं.
  • यह आसन पैरों और जांघों को मजबूत बनाता है.
  • यह आसन हाथों को मजबूत बनाता है और कोहनी के दर्द से भी छुटकारा दिलाता है.

गरुड़ासन करते समय सावधानियाँ

गरुडासन करते समय हमें कुछ सावधानियों का ध्यान रखना बहुत जरुरी होता है, जैसे-

  • अगर आप बहुत गंभीर गठिया के रोग से पीड़ित हैं, तो इस आसन को न करें.
  • नसों में सूजन होने पर इस आसन को नहीं करना चाहिए.
  • हड्डियों तथा जोड़ों में चोट होने पर भी गरुडासन नहीं करना चाहिए.

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