गर्भावस्था में किए जाने वाले योग आसन: Best Pregnancy Yoga in Hindi

गर्भावस्था में योग करने से शरीर स्वस्थ रहता है. योग और प्राणायाम से गर्भावस्था में मांसपेशियां मजबूत बनी रहती हैं, शिशु स्वस्थ रहता है और सहज प्रसव होता है. तो आइए जानते हैं कि गर्भावस्था में किए जाने वाले योग आसन कौन-से हैं और उनसे एक गर्भवती महिला को किस तरह लाभ मिल सकता है?

गर्भ के दौरान पेट पर दबाव डालने वाले आसन से बचना चाहिए और कन्धों तथा कमर के ऊपरी हिस्से को मजबूत करने वाली विधियों पर जोर देना चाहिए. ऐसे ही कई सारी बातें हैं, जो आपको गर्भावस्था के दौरान ध्यान देना चाहिए.

Best Pregnancy Yoga in Hindi

सबसे पहले तो गर्भावस्था के दौरान पर दबाव डालने वाले योग आसन से बचना चाहिए. आपका ध्यान साँस लेने पर अधिक होना चाहिए. यौगिक सूक्ष्म व्यायाम तथा पवन मुक्तासन समूह के आसन करना उपयोगी होता है. ऐसे प्राणायाम भी कारगर हैं, जिनमें कुम्भक न लगाना पड़ता हो.

गर्भ के शुरूआती तीन महीनों में खड़े रहने वाले योगासन करने चाहिए, चौथे पांचवे और छठे महीने के दौरान बहुत सरल आसन ही करें और प्राणायाम व meditation पर जोर दें. गर्भावस्था के 10 वें से 14 वें सप्ताह तक कोई भी योगासन नहीं करना चाहिए.

गर्भावस्था में नौकासन, हलासन, भुजन्गासन, चक्रासन, विपरीत शलभासन और अर्द्धमत्स्येन्द्रासन आदि नहीं करना चाहिए. इनके बजाय बद्धकोणासन, विपरीतकरणी, कोणासन, ताड़ासन, शवासन और त्रिकोणासन करें, जो सहज प्रसव में तो उपयोगी हैं ही, प्रसव उपरांत शीघ्र सामान्य होने में भी सहायक हैं. हालाँकि, गर्भावस्था में कोई भी आसन योग्य गुरु की देख-रेख में ही करें.

सुखासन (Sukhasana)

  • सुखासन करने के लिए सबसे पहले निचे जमीन पर चटाई बिछाकर पालथी लगाकर बैठे.
  • उसके बाद दोनों हाथों को गोद में घुटनों पर रखें.
  • पीठ, गर्दन और सिर बिल्कुल सीधा रखें.
  • अब सुखासन में अनुभव करें कि शरीर में स्थित सातों चक्रों से ऊर्जा निकल रही है और आपको उसका लाभ मिल रहा है.
  • जब तक आप इस आसन में रह सकें, तब तक करें.

सुखासन के फ़ायदे

  • सुखासन करने से मन शांत होता है, शारीरिक स्फूर्ति का अनुभव होता है.
  • शरीर स्वस्थ और निरोग रहता है, जिसका असर गर्भस्थ शिशु पर पड़ता है, जिससे शिशु भी स्वस्थ रहता है.

तितली आसन

  • तितली आसन में सबसे पहले दोनों पैरों को सामने की ओर मोड़कर तलवों को मिलाएं.
  • उसके बाद दोनों हाथों को क्रॉस करते हुए, पंजों को कसकर पकड़ लें.
  • अब पैरों को तितली के पंखों की तरह ऊपर-निचे करना शुरू करें.
  • सहज श्वास के साथ गति धीरे-धीरे बढ़ाएं.
  • आपकी पीठ और बाहें बिल्कुल  सीधी रहें.
  • 15 बार करने के बाद साँस छोड़ते हुए पंजों को छोड़ दें,और पैरों को फैलाकर विश्राम की स्थिति में आकर आराम करें.

तितली आसन के फ़ायदे

  • तितली आसन गर्भ के माह से उपयोगी होता है. इससे शरीर लचीला रहता है और शरीर के निचले हिस्से के में कमी आती है.
  • इस आसन को करने से प्रसव के लिए तैयार होने में मदद करत है और इससे प्रसव के दौरान परेशानी कम होती है.
  • तितली आसन उपयोगी है, लेकिन कमर दर्द, साइटिका और पीठ दर्द में नहीं करना चाहिए.

उष्ट्रासन

  • उष्ट्रासन में पहले घुटनों के बल खड़े हो जायें.
  • उसके बाद दोनों घुटनों,एडियों और पंजों को मिला कर साँस लें.
  • अब साँस भरते हुए, धीरे-धीरे शरीर को पीछे की ओर मोड़ते हुए दोनों हाथों से एडियों को छूने की कोशिश करें.
  • थोड़ी ऊपर की ओर गर्दन तथा हाथ सीधे हों.
  • साँस लेते हुए इस स्थिति में 30 सेकंड से 1 मिनट तक रहें और फिर धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में आएं.

पर्वतासन

  • इस आसन को करने के लिए सबसे पहले सुखासन में, पीठ सीधी कर के बैठ जायें.
  • अब साँस भरते हुए दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठाएं और हथेलियों से नमस्कार की मुद्रा बनायें.
  • कोहनी सीधी हो, कुछ समय इसी मुद्रा में रहने के बाद सामान्य अवस्था में आ जाएँ.
  • पर्वतासन को दो-तीन बार ही करें.

प्राणायाम

प्राणायाम Best Pregnancy Yoga in Hindi की अंतिम योग है. इसमें अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, योगनिन्द्रा, पूर्ण यौगिक साँस और नाड़ीशोधन प्राणायाम अत्यंत लाभकारी हैं.अनुलोम-विलोम   गर्भावस्था में रक्तचाप को नियंत्रित रखता है. तनावमुक्त रखता है और रक्तसंचार सुचारू रखता है.

किन्तु इसके अलावे और भी लाभदायक प्राणायाम है, उज्जायी प्राणायाम के साथ वज्रासन. इस प्राणायाम से अनिंद्रा और चिंता दूर होती है.

प्राणायाम कैसे करें?

  • प्राणायाम करने के लिए पैरों को पीछे की ओर मोड़कर नितंबों को एडियों पर रखकर बैठें.
  • अब अपने गले को थोडा संकुचित करते हुए, धीरे-धीरे इस प्रकार श्वास लेने का प्रयास करें, जिससे लगे कि आप गले से श्वास लेने की कोशिश कर रहे हैं.
  • इस क्रम में थोड़ी आवाज होगी. जब ह्रदय तक में साँस भर जाये, तो उसे दाहिनी नासिका को बंद कर बायीं नासिका से बाहर निकल जाने दें.
  • साँस भरते समय सीना फुलाएं. इसे जितना ही करें.

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